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क्या आपने दुनिया का सबसे ज्यादा काला रंग देखा है?दुनिया के सबसे काले चीज क्या है?

मनुष्यों ने 100% काला रंग देखने का सौभाग्य अभी तक प्राप्त नहीं किया है। अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर का आसमान काला तो दिखता है परंतु यह भी 100% ब्लैक नहीं होता क्योंकि सितारों की बिटकी रोशनी इस कालिमा को पाल देती है। तो फिर, हमारी दुनिया का 100% ब्लैक कलर कहाँ दिखेगा। दरअसल कहीं नहीं। हालांकि, 99.96% ब्लैक कलर आप अवश्य देख सकते हैं और यह कलर भी आपको दंग कर देगा। जी हाँ, यह रंग है हमारे वैज्ञानिकों द्वारा तैयार एक पदार्थ वान्टा ब्लैक(Vanta black) का जोकि इस पदार्थ का ट्रेड नाम है।  Vanta का अर्थ है- -  - vertically aligned carbon nanotube arrays(vanta)  यानी यह पदार्थ सीधी खड़ी नैनो ट्यूब की श्रृंखला से बनी है। कोई चीज तभी हमें दिखती है जब वह दृश्य-प्रकाश को परावर्तित(reflect) करती है, तो जाहिर है इस पदार्थ  का पेंट केवल 0.04% प्रकाश ही उत्सर्जित कर पाता है, शेष को अवशोषित कर लेता है,जिस कारण यह हमें काला दिखाई देता है।

ऐसे कोनसे देश है जहाँ एयरपोर्ट नहीं है?

  अपनी इसी दुनिया में ऐसे देश भी हैं जहाँ कोई एयरपोर्ट नहीं है? दुनिया मे पाँच देश हैं जिनमें हैलीपोर्ट तो होंगे मगर एयरपोर्ट नहीं हैं। इनमें सबसे छोटा वैटिकन सिटी तो है ही इतना छोटा कि पूरा देश भी विमानतल के लिए नाकाफी होगा। और इनमें सबसे बड़ा है ऐंडोरा (Andorra) । इन दोनों के अलावा तीन और देश भी हैं जिनका नाम है मोनाको (monaco), सैन मैरीनो (San marino)तथा लीरटेनस्टाइन(liechtenstein)। अब यह जानकर आपको निश्चय ही आश्चर्य हुआ होगा कि आज की तारीख में एयरपोर्ट-शून्य ये देश भी हमारी दुनिया में हैं। परंतु इससे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि ये पाँचों देश यूरोप में अवस्थित हैं जोकि महाद्दीप अपनी तरक्की और प्रगति के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं, है कि नहीं? और हाँ, एयरपोर्ट की छोड़िये, बहुत देश ऐसे भी हैं जहां कि ट्रेन नहीं है, रेलवे नेटवर्क नहीं है।

आपने एशिया के ग्रे-ब्राऊन रंग के हाथी तो देखे होंगे मगर क्या आपने लाल रंग के हाथी देखे हैं?

हमने एशिया के ग्रे-ब्राउन रंग वाले हाथी देखे हैं  परंतु केन्या के हाथी सुर्ख लाल रंग वाले होते हैं। केन्या के सावो (tsavo) नेशनल पार्क में आपको हजारों सुर्ख लाल रंग वाले हाथी जरूर दिखेंगे।       पर सच यह है कि ये लाल हाथी आनुवंशिक लाल नहीं है, केन्या की नम लाल मिट्टी में हजारों बार लोट लगाने के कारण ये लाल हो गए हैं। जी हाँ, अब यह मिट्टी इनकी त्वचा में इतनी गहरी समा चुकी है कि पानी में नहाने के बाद भी ये हाथी लाल ही दिखते हैं। इन हाथियों के बच्चे लाल नहीं पैदा होते, यह बात तो स्पष्ट ही है।

क्या हो अगर हम कोला या बीयर जैसे पेय पदार्थो में कार्बन डाइऑक्साइड की जगह हीलियम गैस का उपयोग करें?

      प्रश्न : कोला या बियर जैसे पेय पदार्थों में कार्बन डाइऑक्साइड की जगह हीलियम गैस का उपयोग किया जा सकता है? उत्तर :  कुछ प्रयोग जरूर हुए हैं जिनमें हीलियम जैसी निष्क्रिय गैसों का इस्तेमाल इसलिए किया गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड भारी व हानिकारक गैस है और यह गैस एसिडिटी भी पैदा करती है। लेकिन हीलियम के संग ये प्रयोग बिल्कुल असफल रहे हैं और बोतल खोलते ही यह गैस छूमंतर हो गई । इसके वैज्ञानिक कारण तो यही हैं कि हीलियम की घुलनशीलता इन पेयों में कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले 700 गुना कम है। जीहाँ इतनी कम हीलियम में पेय पीने में वो सनसनी की ठंडी लहर आएगी नहीं आएगी जोकि सामान्यतः आती है। इतना ही नहीं, इस पेय को पीने से, आपकी आवाज भी लड़कियों जैसी निकलेगी, क्योंकि हीलियम गैस थोड़े समय के लिए गले पर अटैक करती है। लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं होता।  

क्या आप जानते हैं कि शक्कर (sugar) जो कि 80% गन्ने से बनाई जाती है जिसके लिए भारत व ब्राजील मशहूर है। क्या आप जानते हैं कि बाकी 20% शक्कर किस चीज से पैदा होती है?

हम जानते हैं कि मुख्यतः शक्कर/चीनी (शुगर) गन्ने से बनाई जाती है लेकिन कि क्या आप इसके अलावा शक्कर किससे बनाई जाती है उसके बारे में जानते हैं?  दरअसल गन्ने के अलावा शक्कर 'शुगर बीट' (sugar beet) से भी बनती है। शुगर बीट भी चुंकदर परिवार (beta vulgaris) का सदस्य है। हम जो मीठा-लाल चुकंदर सब्जी-सलाद में खाते हैं उसमें केवल 10% हिस्सा ही शक्कर होती है जबकि कम गरमी वाले देशों में पैदा शुगर बीट रंग में सफेद मगर ज्यादा मीठा (20% शक्कर वाला) होता है। दुनिया के 70 देश गन्ने से चीनी बनाते हैं तो 40 देश शुगर बीट से ।  यह तो आप जानते हैं कि गन्ने से बनी शक्कर उत्पादन में ब्राजील और भारत टॉप पर हैं। शुगर बीट उत्पादन में रूस और फ्रांस जैसे देश टॉप पर हैं। सभी तरह की शुगर में रासायनिक तत्व सुक्रोज होता हैं जिसके कारण शुगर हमे मिठी लगती हैं।

क्या आप जानते है, शुरू में उग रहा टमाटर हरा होता है, फिर अचानक पककर सुर्ख लाल हो जाता है, क्या आप इसका कारण जानते हैं?

प्रश्न :  उग रहा टमाटर हरा होता है, फिर अचानक पककर सुर्ख लाल हो जाता है, क्या आप इसका कारण जानते हैं? उत्तर :   उगते टमाटर में हरा रंग यानी क्लोरोफिल तथा लाल रंग यानी लाइकोपीन, ये दोनों  मौजूद रहते हैं परंतु लाइकोपीन की कमी से शुरू में टमाटर हरा दिखता है। फिर मौसम बदलता है, क्लोरोफिल का विघटन होने लगता है, शुगर का स्तर ज्यादा और एसिड का स्तर कम होने लगता है। जिसके कारण अचानक ठोस हरा टमाटर गुलाबी-लाल स्पर्शसुख वाले टमाटर में बदल जाता हैं। विघटन से भी कुछ लाइकोपीन बनता है और लाइकोपीन अपने असली लाल रंग को प्रकट करता है,और टमाटर हरे से लाल रंग में परिवर्तित हो जाता हैं। 

क्या पृथ्वी की तरह चंद्रमा पर भी भूकंप आतेहैं, मगर क्‍यों?

प्रश्न : क्या पृथ्वी की तरह चंद्रमा पर भी भूकंप आते हैं, मगर क्‍यों?  उत्तर :            चन्द्रमा पर भी पृथ्वी की तरह भूकंप आते है, सन्‌  1972 में अपोलो यान ने चंद्रमा पर एक भूकंपमापी छोड़ा था जिसने अगले 5 वर्ष काम कर करीब 12,000 चंद्रकंप (moonquakes) रिकॉर्ड किए।  इन चंद्रकंपों में चंद्र सतह से 20 किलोमीटर नीचे पैदा चंद्रकंप भी थे और 700 किलोमीटर नीचे उत्पन्न चंद्रकंप भी।  चंद्रमा पर सूर्य-पृथ्वी-चंद्र के गुरुत्वों की अन्योन्यक्रिया तब स्ट्रॉग होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब हो या फिर पृथ्वी और सूर्य की लाइन में आ जाए। बड़े-बड़े उल्कापिंडों के गिरने से भी चंद्रकंप पैदा होते हैं। इसी प्रकार चंद्रमा पर बड़े ताप परिवर्तन भी चट्टानों को चटखाते रहते हैं। और कई कारण भी सुझाये गये हैं। रोचक तथ्य यह है कि चंद्रकंप कई मिनट रहते हैं जबकि भूकंपों का जीवन सेकंडों में सिमट जाता है।    

क्या आप जल की भाप (steam) तथा जल की वाष्प (vapour) में फर्क जानते है?

जल की भाप (steam) तथा जल की वाष्प (vapour) में क्‍या फर्क है? उत्तर : गीले कपड़ों से, बर्तनों से, झीलों-नदियों-सागरों से जल वाष्प बनकर लगातार उड़ता।रहता है। यह काम जल के क्वथनांक (B.pt.) से नीचे होता है और यह वाष्प पारदर्शी होता है। अब यदि जल को 100℃ पर उजबालें तो जो पानी उड़ेगा, उसे भाप कहेंगे। यह भाप सफेद रंगी होती है। पहाड़ों पर वायु दाब कम होने से जल 100℃ से नीचे उबलने लगता है परंतु उड़ते इस जल को अब भी भाप ही कहेंगे।  वाष्प और भाप दोनो गैसीय अवस्था है, दोनों ही जल के अणु हैं, पर विज्ञान में इन रूपों में फर्क किया जाता है, जोकि महत्व्पूर्ण है।  

क्या आप मेंढक और टोड में फ़र्क जानते हो? मेंढक और टोड में क्या फर्क होता है? difference between frog and toad

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   प्रश्न : मेंढक (frog) व भेक या टॉड (toad) में क्या              फर्क होता है?   उत्तर :  मेंढक फिर भी देखने लायक लगता है जबकि टोड एकदम कुरूप-भद्दा! भद्दा-कुरूप कहने के बजाय आप उसे साधारण-बेडौल कह सकते थे।  पानी के करीब, हरे रंग वाला, गीली-फिसलू त्वचा वाला, स्लिम शेप व लंबी टांगों वाला, लॉग जंप मार सकने वाला तथा एक ढेर के तौर पर अंडे देने वाला होता है फ्रॉग। इसके विपरीत पत्थरों के नीचे छिपने वाला, रूखी-सूखी त्वचा व बेडौल शरीर वाला, छोटी जंप मार सकने वाला, छोटी टाँगों वाला, बड़ी गोल-मटोल आंखों वाला होता है टोड। यह एक लाईन में अंडे देता है। परंतु टोड औऱ मेंढक दोनों उभयचर होते हैं। 

कोई संख्या 3 से विभाज्य है या नहीं यह कैसे जाने?

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    कोई बहुत बड़ी संख्या आपके पास है और आपको जानना है कि वह 3 की संख्या से विभाज्य (divisible) है या नहीं तो इसके लिए यह है बेस्ट ट्रिक -            - यह पुराना और सरल प्रश्न है पहले इस बड़ी संख्या में मौजूद सभी सिंगल डिजिट नंबरों को जोड़ लें, फिर उसे 3 की संख्या से विभाजित करके देखें। अगर यह हो जाता है तो समझिए कि बड़ी संख्या भी 3 की संख्या से विभाज्य है।  उदाहरण -     1.  54 को चैक कीजिये  5+4=9    अब 9 विभाज्य है अतः 54 भी विभाज्य होगा। 2.  1 2 3 9 को चैक कीजिए। 1+2+3+9 = 15  अब 15 विभाज्य है तो 2289 भी विभाज्य है। 3.   1 2 3 4 5 6 की संख्या भी इसी प्रकार चैक कीजिए। 1+2+3+4+5+6 = 21 जोकि 3 से विभाज्य है अतः 123456 भी 3 से विभाज्य होगी।

क्या है विटिलिगो (vitiligo) रोग ?

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प्रश्न :  क्या है विटिलिगो (vitiligo) रोग ? उत्तर :  विटिलिगो का अर्थ है ल्यूकोडर्मा” यानी त्वचा पर सफेद दाग। हमारी त्वचा के नीचे स्थित मेलानोसाइट नाम की कोशिकाएँ जब किन्हीं कारणों से मेलानिन रंग बनाना बंद कर देती हैं तो त्वचा पर सफेद दाग हो जाते हैं। ये दाग दुनिया के हर देश, हर कौन, हर रंग के स्त्री-पुरुष-बच्चों में पाये जाते हैं। यद्यपि पूरी दुनिया की 7% आबादी इस रोग की शिकार है पर भारत की 8% आबादी इसकी गिरफ्त में है। यदि इस समस्या की जड़ पकड़ी जाती है तो निश्चित इलाज सामने आते पर सच यही है कि हर चिकित्सा पद्धति के दावों के बावजूद विटिलिगो का पक्का इलाज अभी विज्ञान को नहीं मिला है। खुशी की बात मगर यह है कि विटिलिगो न खतरनाक है, न ही छूत का रोग है। विटिलिगो मरीज के साथ-पीने, उठने-बैठने, काम-काज करने, हंसने-खेलने में कोई जोखिम नहीं। इससे जुड़े कई मिथक पूरी तरह गलत हैं कि यह दूध-मछली के कॉम्बिनेशन से पैदा होता है, एक प्रकार का कुष्ठ है या फिर त्वचा का कैंसर है आदि। ऐसा कुछ भी नहीं है। अच्छा होगा अगर आप इसे रोग ही न मानें।      

दुनिया के सबसे तेज कैमरे में कैद की जा सकती है प्रकाश की धीमी गति

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दुनिया के सबसे तेज कैमरे में कैद की जा सकती है प्रकाश की धीमी गति वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैमरा विकसित किया है, जिसके जरिए समय को स्थिर कर पाना या यूं कहे समय को कैद करना संभव हो गया है। दरअसल इस कैमरे की मदद से प्रकाश की अत्यंत धीमी गति को कैद किया जा सकता है। दुनिया का सबसे तेज कैमरा कहा जाने वाला यह कैमरा प्रति सेकंड 00 खरब फ्रेम कैद करने में सक्षम है। अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह आधुनिक कैमरा प्रकाश और पदार्थ के बीच पारस्परिक प्रभाव को लेकर अब तक के अनछुए रहस्यों के बारे में जानकारी दे सकता है। हाल ही के वर्षों में नॉन लीनियर ऑप्टिक्स और छायाकरण में नई खोजों के जरिए जीव विज्ञान एवं भौतिकी में गतिशील घटनाओं के माइक्रोस्कोपिक विश्लेषण के नवीनतम और प्रभावी तरीकों के लिए नए द्वार खुल गये हैं।        

क्या सोने को कमरे के तापमान पर पिघलाया जा सकता हैं? आइए जानते हैं-

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प्रश्न : सोने को पिघलने के लिए कितने तापमान की आवश्यकता होती है? क्या सोने को कमरे के तापमान पर बिग लाया जा सकता है? उत्तर :                 सोने को पिघलने के लिए 1064 डिग्री सेल्सियस से ऊपर की आवश्यकता होती है। शोधकर्ताओं की एक टीम ने इलेक्ट्रिक फील्डऔर इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके कमरे के तापमान पर सोने को पिघलाने की तकनीक खोजी है। इस शोध में सोने के टुकड़े को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में रखके उच्च स्तर के आवर्धन पर देखा गया। टुकड़ों की प्रतिक्रिया को जाँचने के लिए इलेक्ट्रिक फील्ड बढ़ाई गई जिससे कारण सोने के ऊपरी कण उत्सर्जित होके टूटके कमरे के तापमान पर पिघलने लगे। यह क्रिया रिवर्सिबल थी क्योंकि इलेक्ट्रिक फील्ड के बंद होते ही सोना फिर ठोस हो गया। यह एक अद्भुत खोज है जो अलग-अलग तरह के सेंसर, कैटलिस्ट और ट्रांसिस्टर में उपयोग की जा सकती है।  

अगर हम आपको तीन नो दे दें यानी9,9,9 तो क्‍या आप जोड़-घटा-गुणा-भागवगैरह द्वारा इनसे 8,9 तथा 0 कीसंख्याएं पा सकते हैं?

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अगर हम आपको तीन नो दे दें यानी 9,9,9 तो क्‍या आप जोड़-घटा-गुणा-भाग वगैरह द्वारा इनसे 8,9 तथा 0 की संख्याएं पा सकते हैं? मामला सिंपल है, कोशिश कीजिए। उत्तर :  हाँ, काम सिंपल है, अर्थात्‌  9-(9÷9) = 9-1 = 8 9+9-9 = 9-9+9 = 9  9+ (9÷9) = 9+1 = 10   आप इसको आगे बढ़ाकर और संख्याएं भी प्राप्त कर सकते हैं जी हाँ इन्हीं तीन नौ की संख्याओं से!

क्या आप जंगल व वुडलैंड में अंतर जानते हैं? did you know the difference between jungle and woodlands

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प्रश्न : जंगल व वुडलैंड में क्या फर्क होता है? Diference between jungle and woodlands उत्तर :              जंगल बहुत घने होते हैं जंगल में एक-दूसरे को छूते बड़े-बड़े वृक्ष और ढेरों छोटे-बड़े जंगली जानवर, साथ ही लताओं, तरह-तरह की चिकित्सीय वनस्पतियों खूब जैवविविधता तथा खूब अंधेरेपन होता है जबकि इसके विपरीत यदि वृक्ष एक-दूसरे से थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हों, पूरा इलाका जंगल के मुकाबले काफी छोटा और प्रकाशमय हो, हल्के-फुल्के पशु-पक्षियों से युक्त हो और कुल मिलाकर ऐसा हो कि मनुष्य इसमें झोंपड़ी बनाकर रह सके, इधर उधर घूम सके तो इसे वुडलैंड कहेंगे। वुडलैंड ज्यादातर इंग्लैंड के जंगलों को बोला जाता है क्‍योंकि वहां बहुत घने वृक्ष व घना अंधेरा नहीं होता,इनका कुल इलाका भी जंगलों के मुकाबले छोटा होता है। 

क्या आप जानते है कि ध्वनि की तरंग अलग-अलग माध्यम में अलग-अलग वेग से चलती है, ऐसा कौन सा प्राकृतिक पदार्थ है जिसमें ध्वनि सबसे तेज या बहुत बहुत तेज चलती है? What medium does sound travel fastest in, and why?

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  प्रश्न  : ऐसा कौन सा प्राकृतिक पदार्थ है जिसमें   ध्वनि सबसे या बहुत बहुत  तेज चलती है?      उत्तर :  हम यह जानते हैं कि ध्वनि की तरंगों को चलने-फैलने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है, भले ही वह गैस हो, हवा हो, पानी हो या फिर कोई धातु हो सामान्यतः ज्यादा घना माध्यम, मतलब अधिक : ध्वनि वेग। तो फिर आश्चर्य क्या कि हवा में 20℃ पर ध्वनि वेग 343 मीटर प्रति सेकंड (343m/second) जबकि इसी ताप पर पानी में यह वेग 1493m/s तथा लोहे में 1530 मीटर प्रति सेकंड(1530m/s) है। कुदरती हीरे में यह वेग सबसे अधिक हैं 12,000 मीटर प्रति सेकंड(12000m/s) कारण तो स्पष्ट है कि : हवा के मुकाबले जल में अणु ज्यादा करीब हैं और सॉलिड्स में तो ये बहुत-बहुत करीब होते हैं। अणुओं की नजदीकी के अलावा माध्यम की सूक्ष्म संरचना भी महत्वपूर्ण है।  ध्वनि के इन अध्ययनों के विज्ञान को(Acoustics) कहा जाता हैं।

क्या आप जानते हैं कि विश्व पाई (π) दिवस 14 मार्च को ही क्यों मनाया जाता हैं?Why do we celebrate Pi Day on March 14?

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क्या आप को पता की हम 4 मार्च को विश्व पाई दिवस मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि पाई (π) दिवस 14 मार्च को ही क्‍यों मनाया जाता है? उत्तर : पाई π यानी बाईस बटे सात (22/7) की कहानी बहुत पुरानी है जिसकी अवधारणा व मूल्यांकन में भारतीयों का योगदान भी है।  यूं तो इसका मान 3.14592653.......... तथा इससे भी लम्बा है पंरतु दैनिक उपयोग में यह 3.14 में सिमट जाता है। अब अमेरिकन तरीके में 3.14 को 14 मार्च मानेंगे अतः पाई दिवस को 14 मार्च घोषित कर दिया गया है। इस दिन स्टूडेंट्स π के मान को लम्बी दशमलव मान तक याद करते हैं, जनसामान्य को बताते हैं कि सर्कल का क्षेत्रफल (πr 2 ,r=अर्धव्यास) होता है। इसकी परिधि (2πr=πd,d=व्यास) होता हैं आदि। पाई के सिंबल (π) के आविष्कार का श्रेय विलियम जोन्स (1706) को जाता है। यह सिंबल यूनानी (greek) भाषा से लिया गया है।

अंतरिक्ष मे बायोरिएक्टर (bioreactor in space)

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अंतरिक्ष में बायोरिएक्टर स्पेस स्टेशन प्रयोगशाला के शून्य गुरुत्वाकर्षण एन्वायरॉन्मेंट में हुऐ एक शोध के अनुसार 6 मई, 2019 को अंतरिक्ष यात्रियों ने लंबी उड़ानों पर कार्बन डाइऑक्साइड को सांस लेने योग्य ऑक्सीजन में परिवर्तित करने के लिए शैवाल द्वारा संचालित 'फोटोबायोरिएक्टर' का निर्माण किया है।फोटोबायोरिएक्टर का प्रयोग अंतरिक्ष अनुसंधान में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक बड़ा कदम है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पृथ्वी से बार-बार आने वाले मिशनों की आवश्यकता के बिना अंतरिक्ष में अधिक समय तक जीवित रहने के लिए उपयुक्त है। शैवाल संचालित बायोरिएक्टर ऑक्सीजन की आपूर्ति और जलवायु नियंत्रण के लिए आवश्यक मशीनरी या बिजली की मात्रा को कम कर सकता है। बायोरिएक्टर को शक्ति प्रदान करने वाला शैवाल क्लोरेला वल्गेरिस (Chlorella vulgaris) प्रजाति से है जिसका पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर शोध किया गया है। यह टेक्नोलॉजी चन्द्रमा या मंगल ग्रह पर जीवन यापन को संभव बना सकती है। इस परीक्षण को अंतरिक्ष यान पर अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन और खाद्य बायोमास में फोटोसिन्थे...

दांतो की सफ़ाई करेंगे सुक्ष्म रोबोट

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 वंशिंगटन के वैज्ञानिकों ने ऐसा सूक्ष्म रोबोट विकसित किया है जो अब दातों की सफाई करेगा। इसके अलावा यह रोबोट दातों पर जमा होने वाली पीले रंग की परत यानी प्लाक की भी सफाई बिना कोई नुकसान पहुंचाए करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने दो तरह की प्रणाली विकसित की है जिनमें से पहली प्रणाली को सतह पर काम करने के लिए बनाया गया है जबकि दूसरी प्रणाली की मदद से अंदरूनी हिस्से में इनकी मदद से दांतों में जमी बायोफिल्म को नष्ट किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार बायोफिल्म नष्ट करने वाली इस तरह की रोबॉटिक प्रणाली की सहायता से कई तरह के काम करना संभव होगा। इनमें पानी के पाइप और कैथेटर को साफ रखने से लेकर दंतक्षय के जोखिम को कम करने, दंत संक्रमण और दांतों में बाहर से लगाई जाने वाली वस्तु (डेंटल इम्प्लांट) से होने वाली खराबी पर नियंत्रण रखा जा सकता है। यह शोध दूसरे जैव चिकित्सीय क्षेत्रों में भी कारगार साबित हो सकता है।              

मिनटो में बैक्टीरिया का पता लगाने वाला उपकरण

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मिनटों में बैक्टीरिया का पता लगाने वाले उपकरण जब कभी भी हम बीमार होते हैं तो डॉक्टर अक्सर मरीज को शरीर में बैक्टीरिया न होने के बावजूद एंटीबायोटिक देते हैं। लेकिन अब शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। पेन स्टेट यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो चंद मिनटों में पता लगाएगा कि शरीर में बैक्टीरिया है या नहीं । यह उपकरण माइक्रोटेक्नोलॉजी का उपयोग करने पर बैक्टीरिया की कोशिकाओं को फंसा लेता है जिसे इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है। इससे केवल तीस सेकंड में ही बैक्टीरिया की मौजूदगी के साथ दवाई के असर होने के बारे में पता चल सकेगा। इस उपकरण की सहायता से बैक्टीरिया के वर्गीकरण में भी मदद मिलेगी।  

क्या आप जानते है की आकाश नीला क्यूँ होता है?Why is the sky blue?

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1. आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है? Ans:           सूर्य का श्वेत प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना होता है| हम प्रकाश को तरंग ऊर्जा का रूप मान सकते हैं जिसमें विभिन्न रंगों का तरंगदैर्ध्य भिन्न-भिन्न होता है| इंद्रधनुष में मौजूद सात रंगों में लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक और नीले व बैंगनी रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है। नीले रंग लाल रंग की अपेक्षा अधिक फैलता है जिसके कारण आकाश नीला दिखाई देता है, यद्यपि क्षितिज की और नीला रंग कम होता जाता है क्योंकि क्षितिज से आ रहे प्रकाश को वायुमंडल में अधिक दूरी तय करनी होती है जिसके कारण अधिक फैलाव होता है और नीला रंग कम होता जाता है|

क्या आप जानते है कि संतरा को निचोड़ने से निकला रस ज्वलनशील होता है! आईये संतरा से जुड़े इस तथ्य को जानते हैं--

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प्रश्न.1. संतरा के छिलके को आग कि लो पर निचोड़ने से आग क्यों भभकती है? ऐसा क्यों होता है? उत्तर= नीचडा रस दरअसल एक कार्बनिक तेल है,जोकि जलता है, पानी में घुलता नहीं वह उससे संतरे की सुगन्ध रहती है।          इस तेल का मुख्यरसायन लीमोनीन(limonene) है जोकि शैंपू,  फेस वॉश,फ्रेेेेशनर, परफ्यूम जैसेे कॉस्मेटिक पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है, जोकि हमें संतरे की खुशबूू देेता है।                  लिमोनीन एक कीटनाशक भी है, जिस कारण यह हैंन्ड सेनेटाईज़र्स वो सफाई रसायनो में कुदरती किटनाशी के रूप मे प्रयोग किया जाता है। यह थे संतरा से जुड़े रोचक जानकारी व वैज्ञानिक  तथ्य

हिलियोन (helion) किसे कहते हैं? हिलियोन (helion) तथा अल्फा कणो में क्या अन्तर है?difference in helium and alpha particle

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  हिलियोन कण = हीलियम-3 आइसोटोप के नाभिक                              को 'हिलियोन कण' कहते हैं।                                          जबकि अल्फा कण =   hilium-4 आइसोटोप के नाभिक को 'अल्फा कण' कहते हैं।

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